Sunday, August 18, 2019

देव और आइशा !

सावन का   महीना था रंगीन शाम में  हल्की - हल्की बारिश हो रही थी ! मैंने ऑफिस से घर  जाने के लिए ऑटो पकड़ी , और बड़ी हड़बड़ी में मैं घर  पहुंचा ! अरे ये क्या ? मैंने अपना वॉइलेट गुमा दिया। अब  मैं क्या करूँ उसमे मेरे कुछ डॉक्यूमेंट थे और कैश भी।  मै बहुत ही परेशान था , तभी मेरे मोबाइल की रिंगटोन बजी लेकिन मैंने फोन कट कर दिया क्योकि मै बहुत टेंशन में था।  थोड़ी देर बाद उसी नंबर से फिर कॉल आया। इस बार मैंने कॉल रिसीव किया और धीरे व परेशान से लफ्ज़ो में कहा - जी कौन ?
जवाब आया....  जी ! आप देव बोल रहे हैं।
जी हाँ ! लेकिन आप कौन ? मैंने चौंकते हुए बोला।
मै आइशा बोल रही हूँ ! ( उसने बड़े ही मधुर स्वर में कहा )
जी! कौन आइशा मैंने आपको पहचाना नहीं ? और आपको मेरा नंबर कहा से मिला ? ( मै हैरान हो गया )
उसने बड़े ही प्यारे अल्फाज़ो में कहा।  मुझे ऑटो पे आपका वॉइलेट मिला जिसमे ये नंबर लिखा था।
आप बहुत परेशान होंगे न ? इसको लेकर। ...
ये बात सुनकर मेरी जान में जान आई।.....
मैंने थोड़ा रिलैक्स फील करते हुए बोला। ....  जी आप कहा से बोल रही हैं ?
उन्होंने बहुत ही सहज होकर कहा! आप फ़िक्र मत कीजिये मै आपके ही शहर की हूँ।  आप कल सुबह सिटी पार्क में आकर अपना वॉइलेट ले जाइएगा।
मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि मेरा वॉइलेट मिल गया  और  मैंने ओके बोलकर फोन काट दिया ......
मै अब उनके बारे में सोचने लगा कि वो कितनी अच्छी है ! ऐसे लोग बहुत काम ही मिलते है।
और उनकी आवाज़ भी कितनी मधुर थी लग रहा था मानो कोई स्वर की  देवी हो. ....
<<<मै उनके बारे में सोचते-सोचते ही सो गया >>>.
रोज की तरह मेरी सुबह अलार्म की आवाज से हुई।  मै झट-पट तैयार होके सिटी पार्क पहुँच गया ....
मन में ख़ुशी थी लेकिन उस ख़ुशी से ज्यादा मै नर्वस था....
मै पार्क में उनका इंतज़ार करने लगा। मै हर आने-जाने वाली लड़की और महिलाओ को देखने लगा कि कही उनमे से ही कोई हो...
लगभग  10  मिनट तक इधर - उधर देखने के बाद मैं उसी नंबर पे कॉल बैक करने ही वाला था कि , उतने में ही ,
एक लड़की मुझे अपनी  ओर आती हुई दिखी , उसने व्हाइट कलर की शूट पहनी हुई थी , बाल खुले हुए हवावों में लहराते जा रहे थे ,कानो में झुमके मानो ऐसे डोल जैसे उन्हें किसी ने मदिरा पान  करा दिया हो, उनकी निगाहो में  किसी की तलाश थी , ( दिल से आवाज़ आई ! कही यही तो नहीं ?)
मैं उन्हें एकटक देखता ही रह गया और कब वो मेरे करीब आ गई मझे पता ही नहीं चला।
वो करीब आकर बोली आप ही देव है न?
जी हाँ ! और आप ? ( मैंने लड़खड़ाते शब्दों कहा )
जी मै  आइशा हूँ ! मैंने ही आपको कॉल किया था। ये लीजिये आपका पर्स मुझे ऑटो में मिला था।  ( उसने मुझे मेरा वॉइलेट देते हुए कहा !)
जी धन्यवाद ! आपकी वजह से मुझे मेरा वॉइलेट मिल गया।  ( मैंने अपना वॉइलेट चेक करते हुए बोला )
कोई बात नहीं। तो , मै चलती हूँ ! ( इतना कहकर वो जाने लगी )
( और एक मेरी नज़र थी जो उन्हें एकटक देखे ही जा रही थी। सच कहूं तो , वो बहुत ही खुबशुरत थी। ऐसा लग रहा था मनो कोई परी मेरे लिए सीधे जन्नत से उतारकर आई हो... और मै उन्हें यूँ ही नहीं जाने देना चाहता था। )
थोड़ी देर रुक जाइये ना ? ( मैंने धीरे से और डरते हुए कहा )
जी ! कहिये क्या बात है ? आपके पर्स में कुछ मिस हैं ? ( उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा। )
नहीं-नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।  पता नहीं क्यों आपको  ऐसे जाते हुए  देख कुछ अच्छा नहीं लगा।  ( मैंने हिचकिचाते हुए कहा। )
रुकती जरूर पर मुझे अभी देर हो रही है।  ( उसने मुस्कुराते हुए कहा। )
( उनकी ये मुस्कराहट मेरे दिल में किसी तीर की तरह घुसे जा रही थी। )
कोई बात नहीं ! लेकिन कुछ देर रूकती तो मुझे अच्छा लगता। ( मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा। )
मै चलती हूँ.....  और हाँ ! ज़रा अच्छे से ध्यान रखा कीजिये हर कोई नहीं आएगा आपका पर्स लौटाने हमारी तरह...   (  उन्होंने हमारी नज़रो से नज़र मिला के कहा  वैसे आप आधार कार्ड में भी हैंडसम लगते है । और   चली गई... )
( अब हम क्या करे ? पर्स तो मिल गया लेकिन अपना दिल गुमा बैठे... )
उनकी बाते , उनकी अदाएं  दिल में उतरती ही जा रही है।  उनका वो मुस्कुराता हुआ चेहरा हमारी नज़रो से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था ..   वो मुलाकात हमसे भुलाये नहीं भूले जा रही...
उनसे बात करने का  मन कर रहा था उन्हें कॉल करूँ या ना करूँ।  इसी कश्मकश में पूरा दिन निकल गया। ..... आख़िरकार हम अपने आप को रोक नहीं पाएं...
और शाम को मैंने उनको कॉल किया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया। फिर डरते हुए मैंने फिर से कॉल किया इस बार उन्होंने कॉल रिसीव किया  और कहा -
बड़ी देर कर दी आपने एक कॉल करने में ? मुझे लगा आप दोपहर  में ही कॉल कर लेंगे...
तो आप दोपहर से मेरे कॉल का इंतज़ार कर रही है ? ( मैंने थोड़ा फ्लर्ट करते हुए कहा। )
नहीं ! सुबह आप कुछ बोल रहे थे तो मुझे लगा कि आप कॉल करेंगे। वैसे क्या कहने वाले थे आप ?( उन्होंने झट से पुछा । )
आप बहुत खुबशुरत हैं ! ( मैंने शरारती स्वर में कहा। )
वो तो पता है मुझे।  सब कहते है , कुछ नई  बात बताइये। ( उन्होंने मुस्कुराकर कहा। )
आप बहुत अच्छी लगी हमें, दिल करता है आपसे यूँ ही ज़िंदगीभर बातें करता रहूं। ( मैंने उनसे अपनी दिल की बातें कह दी )
क्यू हमसे क्यों बातें करेंगे आप ? अपनी गर्लफ्रेंड से कीजिये बातें ? ( उन्होंने ये सवाल शायद हमारी सिंगलपन्ती जानने के लिए किया था। )
नहीं है हमारी कोई गर्लफ्रेंड ! आपको बात नहीं करनी तो मत कीजिये।  ( मैंने बड़ी ही बेरुखी से जवाब दिया। )
अरे ! इतने स्मार्ट बन्दे की कोई गर्लफ्रेंड नहीं है! ऐसा कैसे हो सकता है ? ( उसने मुझे फ्लर्ट करते हुए कहा। )
अगर  मैं आपको इतना स्मार्ट लगता ही हूँ तो आप ही बन जाओ ना मेरी गर्लफ्रेंड ? ( मैनें भी फ़्लर्ट करते हुए कहा। )
वाह जी ! वाह ! आप तो बड़े फास्ट निकले।  पहली बार में ही प्रोपोजल ले आये ? ( मेरी बातो को लाइटली लेते हुए कहा।)
फास्ट हूँ लेकिन आपसे ज्यादा नहीं ! तो क्या कहती है आप ? ( मैंने थोड़ा सीरियसली होकर कहा। )
ओके ! बात तो कर सकती हु आपसे लेकिन गर्लफ्रेंड के लिए सोचना पड़ेगा ? ( हिचकिचाते हुए कहा उसने ,)
फिर क्या था मेरी तो मनो लॉटरी लग गई हो... उस दिन से हमारी बाते रोज होने लगी।  ऐसा एक भी दिन नहीं होता जब उनसे बात नहीं होती।  लगभग एक महीने हो गए थे। हम दोने एकदूसरे के बहुत करीब आ गए थे , हम एक-दूसरे को अच्छे से समझने लगे थे।  एक-दूसरे की पसंद - नापसंद , भला - बुरा , पास्ट एण्ड  प्रेसेंड अच्छे  से जान चुके थे...
अब तो हालात ऐसे हो गए थे कि हम दोनों एक-दूसरे से बात किये बिना रह ही नहीं पते थे... ( मुझे तो उनसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था।  लेकिन क्या उनको भी ये अहसास है ? इसी जवाब का इंतज़ार था मुझे। )
मैं अब और इंतज़ार नहीं करना चाहता।  सोच रहा हूँ उसे आज प्रपोज़ कर दूँ और अपनी दिल की सारी बातें उन्हें बता दूँ....  मुझे लगता है कि शायद वो भी मुझे पसंद करती है और शायद प्यार भी ?
मैंने उसे कॉल किया और कहा - तुम फ्री कब हो ? मुझे तुमसे मिलना हैं।
अभी फ्री हूँ ! मिलना है तो घर आ जाओ अभी के अभी। . ( उसने मजाक करते हुए कहा। )
सच्ची बताओ ! मिलना है तुमसे , और जरुरी बात भी करनी है।  ( मैंने थोड़ा जोर देते हुए कहा। )
क्या बात है ? फोन पे ही बता दो,,, ( उन्होंने बड़े ही तहज़ीब से कहा। )
बहुत जरुरी बात है , मैं फोन पे नहीं कह सकता।  ( मैंने उसकी बात काटते हुए कहा। )
कोई जरुरी बात नहीं है ! तुम्हे तो बस मिलने का बहाना चाहिए...  ( उसने ऐसे कहा मनो उसे सब पता हो.. )
मैं भी तो यही चाहता  था कि उसे सब पता चले , इससे मेरे लिए और आसानी होगी।
शायद उसे पता भी था की मैं उससे प्यार करता हु , लेकिन उसने कभी ये फील होने ही नहीं दिया।
फिर मैंने उसे मिलने के लिए कन्वेंस किया और संडे शाम को मिलने का प्लान बना लिया...
मैं उसे प्रपोज़ करने के लिए तरह - तरह के टिप्स ट्राई करने लगा...
बेचैनी , इंतेज़ार , घबराहट और प्यार में कब सन्डे आ गया पता ही नहीं चला।
मैं बहुत घबराया हुआ था और नर्वस भी ! पता नहीं वो मेरा प्रपोसल एक्सेप्ट करेगी या नहीं ? करेगी तो अच्छी बात है और अगर नहीं करेगी तो हमारी फ्रेंडशिप का दी एंड। ...  सोच के ही मेरी जान निकली जा रही थी...
लेकिन मैं यहा श्योर था की वो एक्सेप्ट करेगी।  क्योकि हमने इतने दिनों में एक-दूसरे को इतना जान लिया था कि किस बात पर कौन कैसा रियेक्ट करेगा ये हम दोनों को अच्छे से पता था///
फाइनली वो वक़्त आ ही गया जिसका मैं बड़ी बेसबरी से इंतज़ार कर रहा था।
वो शाम बहुत ही हसीन और रंगीन थी , सूरज की मद्धम नारंगी रौशनी , शीतल मंद हवावों में झूमती मदमस्त फिज़ाओ को अपने आगोश में लिए जा रही थी।  लग रहा था कि जन्नत  ज़मीं पर उतर  आया हो...
मैं उसकी यादों में खोए , अकेले इस रंगीन शाम का आनंद लेते हुए उनका इंतज़ार कर रहा था।  इतने में पीछे से आवाज़ आई। ... देव ! मैं आ गई...
जैसे ही मैंने पलटकर देखा , तो मैं उन्हें देखता ही रह गया।  हवा में लहराते  उनके रेशमी बाल उनके गलो से होते हुए उनके लबों को स्पर्श कर रहे थे।  उनकी बालियां मेरे हृदय के धुन के संग डोले जा रही थी , वक़्त मनो ठहर सा गया हो ,  दिल कर रहा था कि कैद कर लूँ  उन्हें ताहं उम्र के लिए अपनी इन प्यासी निगाहों में...
क्या हुआ ? ऐसे क्या देख रहे हो ? ( उसने मेरे चेहरे के सामने चुटकी बजाते हुए कहा। )
यार ! इस पीली शूट और सफ़ेद दुपट्टे में , तुम बिल्कुल कढ़ी - चावल लग रही हो।  ( मैंने उसे एकटक देखते हुए कहा। )
उन्होंने मुस्कुरा कर पलके झुकाते हुए कहा... कुछ और नहीं बोल सकते थे ?
और क्या बोलूं यार ? तुम इतनी खुबशुरत हो कि , तुम्हे देखते ही जुबां पे अल्फ़ाज़ खुद-ब-खुद थिरकने लगते है...  ( मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।  )
ये सब छोड़ो ! मुझे क्यों बुलाया ? क्या बात है वो बताओ... ( उन्होंने बात काटते हुए उत्सुकता से पूछा। )
आपको पता होना चाहिए कि हमने आपको क्यों बुलाया है ? ( मैंने शरारती आवाज़ में कहा। )
हाँ वो तो पता है ! लेकिन आप बताएँगे तो ज्यादा बेहतर होगा।  ( उन्होंने शरमाते हुए कहा मनो उन्हें सब पता हो।  )
मैं खामोश हो गया और ये सोचने लगा कि मैं उनसे अपने प्यार का इज़हार कैसे करूँ ? मुझे पता तो था कि वो इंकार नहीं करेंगी पर इसकी भी कोई गारेंटी नहीं थी कि वो इक़रार करे...
इतने में वो बोली ! चुप क्यों हो ? क्या हुआ ?
मैं फिर भी खामोश था ! और अपने इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए हिम्मत जुटाने लगा...
क्या हो गया ? तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ? ( उन्होंने फिर से पूछा )
लेकिन मैं क्या बोलता और कैसे बोलता ? मेरे दिल और दिमाग के बिच गुत्थम - गुत्थी हो रही थी कि मैं उन्हें बोलूं या नहीं ?
देखो मुझे पता हैं कि तुम क्या सोच रहे हो ? और क्या बोलना चाहते हो ? मैं कोई अंजान तो नहीं हूँ ना ? जिसमे तुम इतना सोचे जा रहे हो। ( उसने रूठते हुए कहा। .)
अब मेरे दिल से आवाज़ आने लगी कि " बोल दे बेटा देव ! अभी नहीं बोलेगा तो कभी नहीं बोल पायेगा... "
क्या हो गया हैं तुम्हे ? ( उसने गुस्से से पूछा )
जी! इश्क़  हो गया है आपसे।  पहली ही बार में... जब से देखा है आपको दीवाने हो गए है आपके... खुदा कसम जी नहीं पाएंगे बग़ैर आपके... ( दिल तो घबरा रहा था लेकिन कॉन्फिडेंट के साथ सब कह डाला )
इतनी सी बात के लिए इतना टाइम लगा दिया ? ( उसने हँसते हुए कहा )
उनका ये जवाब सुन के दिल को तसल्ली मिली।  क्योंकि मैंने सुना था " हंसी तो फंसी "  फिर मैंने उनसे बड़ी ही मासूमियत से पूछा क्या आपको हमसे प्यार नहीं ?
एक लड़की एक अंजान लड़के के साथ बाते करते-करते उसके इतनी करीब आ जाती है कि , और उससे बाते किये बिना एक दिन भी नहीं गुजार सकती , अपनी दिल की हर बात उससे शेएर करती है , उसके बुलाने पर मिलने आ जाती है और वो भी इतने सज-सवंर के ! और वो लड़का उसे पूछ रहा है कि क्या मैं उससे  प्यार नहीं करती ? क्या तुम इतना भी नहीं समझते ? ( उसने धीरे स्वर में कहा )
मुझे ये सब बाते समझ में नहीं आती।  मुझे सिर्फ इतना पता है कि  मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और शायद मैं तुम्हारे  बगैर जी भी नहीं  पाउँगा। " आई लव यू आइशा ! आई लव यू वेरी मच ! बहुत प्यार करता हु मैं तुमसे " ( मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपनी और खींचते हुए कहा )
उसने शरमाते हुए कहा - मैं भी तुम्हे पहली ही नज़र में पसंद करने लगी थी। ...
पर तुमने बताया क्यू नहीं इतना इंतज़ार करना जरुरी था क्या ? (मैंने गुस्से से कहा )
हम लड़किया हैं ! ऐसे ही किसी को नहीं बताते ये सब।  किसी को सताना , तड़पाना , इंतज़ार कराना हक़ है हमारा और रही बात प्यार की तो पसंद तो करते ही है प्यार को भी  अर्जेस्ट कर लेंगे।   ( उसने चुटकी लेते हुए कहा )
में सीरियसली  बात बोल रहा हु और तुम्हे मज़ाक की पड़ी है ? ( मैंने नाराजगी से कहा )
डिअर भोंदू ! वही तो मैं  तुम्हें बता रही हूँ !  कि मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ....  जिसका अहसास मैंने तुम्हे कभी होने नहीं दिया। ...  एक और बात तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे ना ? ( उसने थोड़ा सिरियस होते हुए कहा )
उसे मैंने ऐसे सीरियसली बात करते हुए नहीं देखा था , अचानक उसके मुस्कुराते हुए चहरे पे चिंता की लकीरे खींचने लगी....  शायद इसलिए कि  हमारी जाति अलग थी , धर्म अलग था।  और उसका इन सब के बारे में सोचना लाज़मी था।  वो ये सब सोच ही रही थी कि इतने में मैंने उसे झट से गले लगा लिया और उसके  कान में  आत्मनिर्भरता के साथ एक ही शब्द कहा।  " मैं हूँ ना ! जो होगा देखा जायेगा !"
उस दिन हमारी दोस्ती प्रोमोट होकर प्यार में बदल गई।  अब हम दो जिस्म एक जान हो गए है , एक दूजे के बिना ज़िन्दगी की कल्पना भी नहीं कर सकते।  हमारी ज़िन्दगी हँसते मुस्कुराते चलने लगी थी , घूमना , मिलना , वीकेंड पे मस्ती करना हमारे लिए आम सी बात थी , हमारे रिलेशनशिप के बारे में हमने किसी को नहीं बताया था !  एक दिन  हमने वही मिलने का प्लान बनाया जहां हमारी पहली मुलाकात हुई थी।
उस दिन हम दोपर को लंच टाइम पर मिलाने वाले थे। मैंने उनको कॉल किया और कहा कि मैं निकल रहा हु तुम भी जल्दी आ जाओ।  और   मैं रेडी होकर मीटिंग पॉइंट पर पहुँच गया मैं उनके लिए एक रिंग लेकर आया था  और वेट करने लगा....  आज कुछ अजीब लगा मुझे जब भी हम मिलते थे तो वो पहले से आ जाती थी बट आज बिलकुल उल्टा हो गया ! लगभग १ घंटा हो गया था उनका वेट करते करते।  लेकिन उनका कोई पता न था , मैंने उनको कॉल किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।  ऐसा पहली  जब उन्हने ना तो कॉल रिसीव किया और न ही कॉल बैक ! मैं उनको बार बार कॉल और एसएमएस किये जा रहा था लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आ रहा था।  मैं परेशान होने लगा मन में तरह - तरह के ख्याल आने लगे।  ना जाने क्या हो गया जो वो कॉल अटेंन  कर पा रही हैं।  अब तो लगभग शाम होने को आई थी मैं उनके इंतज़ार पे वही बैठा था , तभी उनका कॉल बैक आया , मैंने रिसिव किया और जोर से गुस्से में कहा , कहां हो तुम ? अभी तक पहुंची क्यू नहीं ? मैं कब से वेट कर रहा हूँ तुम्हे पता है ? मेरी बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि इतने में उधर से किसी आदमी की आवाज़ आई ! आप देव बोल रहे है ? (मैं एकदम से घबरा गया और कहा जी हाँ ! और आप कौन बोल रहे है )
मैं इंस्पेक्टर दया बोल रहा हुं ! हमें गार्डन के पीछे एक लड़की अधमरे हालत में मिली जिसके मोबाइल पे आखिरी कॉल आपका दिखा रहा है।
इतना सुनते ही मेरी तो पैरे तले ज़मींन खिसक गई , पुरा  शरीर सुन्न हो गया।  मैं अपना होश खो बैठा।।।
फिर इंस्पेक्टर साहब ने पूछा क्या तुम जानते हो इन्हे ? जल्दी से आप सिटी हॉस्पिटल आ जाइये।
मैं अफरा-तफरी में जैसे - तैसे कर हॉस्पिटल पहुंचा। उनको इस हालत में देखकर मेरी तो जैसे सांसे ही रुक गई थी, दिल बैठा जा रहा था , आँखों से अश्को के सैलाब बहे जा रहे थे। डॉक्टर ने रेप केस बताया , इतना सुनते ही मेरे दिल में गुस्से की आग भड़काने लगी...  मैंने डॉक्टर से पूछा कि मेरी आइशा ठीक तो हो जाएगी ना ?
डॉक्टर ने निराशा जताते हुए कहा शायद !...
मैं उनकी बातो को समझ गया.... और उन्हें धक्के देकर मैं अपनी आइशा के पास आ गया...
उनकी ये हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी।  कितनी बेरहमी से नोच डाला था उन कुत्तो ने मेरी आइशा को ? 
मैंने आइशा का हाथ पकड़ कर उससे कहा , तुम बिलकुल ठीक हो जाओगी आइशा देखो मैं आ गया हु ना।
मेरी आवाज़ कर उसने आंखे खोली और मेरी तरफ देखने लगी। ...  उसे बहुत दर्द हो रहा था वो बोलने की नाकाम कोशिशे किये जा रह थी...  और ये सब मुझसे देखा नाही जा रहा था।  उनकी आंखे नाम हो गई थी उनसे तो रोया भी नहीं जा रहा था , उनकी ये तकलीफ मेरे सिने को छल्ली - छली किये जा रही थी, उनकी बेबसी मेरे दिल में घाव किए जा रही थी। . आँखों से आंसुओ की धार रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। ...
उनकी ये डरी - सहमी सी नज़ारे वो खौफनाक मंजर साफ बया कर रही थी , जो उनके साथ बिता,,,  मेरे अंदर बदले की आग सुलग चुकी थी।
उनका दर्द मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था , मैंने उन्हें रोते हुए अपने गले से लगा लिया।  और कहने लगा " सब ठीक हो जायेगा आइशा , मैं हूँ ना, तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा....
इतने में उनकी धीमी आवाज़ मेरे कानो में पड़ी ,  " सॉरी देव ! मैं तुम्हे छोड़कर जा रही हूँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ..... "
इतना कहते ही उनकी आवाज़  और सांसे दोनों थम  गई , और  साथ में थम गई मेरी ज़िन्दगी , लग रहा था मानो किसी ने जिस्म से जान निकाल दी हो... 
आँखे उनकी बंद हो गई लेकिन अँधेरा मेरी नज़रो में छाने लगा था और मैं उन्हें दर्द भरी आवाज़ों में  पुकारता ही रह गया....
आइशा ! आइशा ! आइशा। ...